CMHO OFFICE : घटिया खोखला भवन देखना है तो अलवर के सीएमएचओ कार्यालय चले आइए, सरकार, अफसर और ठेकेदार मिलकर खा गए गिट्टी, बजरी और सीमेंट

-10 साल में ही जर्जर हुए भवन की न तो सरकार ने जांच कराई और न ही प्रशासन ने, अब सीएमएचओ कार्यालय को आरसीएचओ व डिप्टी सीएमएचओ कार्यालय के नए भवन में शिफ्ट किया और इसे भूत बंगला बनाकर छोड़ दिया

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अलवर. घटिया निर्माण के कारण करीब 10 साल में जर्जर हुए सीएमएचओ कार्यालय (CMHO OFFICE) भवन की नींव ही भ्रष्टाचार पर रखी गई थी। निर्माण के बाद ही तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. सुबोध अग्रवाल ने हैंडओवर-टेकओवर के दौरान ही सवाल खड़े कर दिए थे। क्योंकि उसी दाैरान इस भवन में दरार आना शुरू हो गई थी, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर कुंजीलाल मीणा का इतना प्रेशर था कि सीएमएचओ को ऑफिस इसमें शिफ्ट करना पड़ा। 10 साल में जर्जर हुए भवन की शिकायत के बाद न तो सरकार ने इसकी जांच कराई और न ही ​जिला प्रशासन ने। भ्रष्टाचार इतना हुआ कि ये सीएमएचओ के पत्रो को ही दबा गए। अब सीएमएचओ कार्यालय को पास में बने आरसीएचओ व डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण के नए भवन में शिफ्ट किया गया है। लेकिन इस भवन की छत से लगातार 4 साल से गिर रहे प्लास्टर के कारण कार्यालय में कार्यरत 80 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी भयभीत रहे। निदेशालय में भवन की शिकायत के बाद विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव के निर्देश पर संयुक्त निदेशक योजना डॉ. प्रवीण असवाल ने अलवर आकर भवन की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया, जिसे एनएचएम के अधिशासी अभियंता की रिपोर्ट के मुताबिक असुरक्षित पाया गया। डॉ. असवाल जिला कलेक्टर से मिले और मौखिक आदेश पर कार्यालय शिफ्टिंग के तो निर्देश दे दिए गए, लेकिन जांच को लेकर चुप्पी साध गए। वर्ष 2020 से वर्ष 2023 तक इस भवन की मरम्मत के लिए तीन बार एस्टीमेट बनाया गया, लेकिल इस घटिया भवन के ​लिए सरकार से बजट नहीं मिला और मरम्मत नहीं हुई। जिसकी वजह से छत से वर्ष 2020 से लगातार बारिश के दिनों प्लास्टर गिरता रहा। हालांकि दीवारों की दरारों को कई बार प्लास्टर से दबाया गया, फिर भी वे स्पष्ट दिखती रही। लेकिन पिलरों से गिरा मार्बल और धंसा फर्स इसके भ्रष्टाचार को दिखाते रहे।

आरसीएचओ डॉ. गेट ने सीएमएचओ की हैसियत से जांच के लिए कलेक्टर को लिखा था पत्र

अलवर आरसीएचओ रहे डॉ. अरविंद गेट को पिछले साल कुछ दिनाें के लिए कार्यवाहक सीएमएचओ बनाया गया। उस दाैरान भवन की छतों से गिरते प्लास्टर को लेकर उन्होंने जिला कलेक्टर को जांच के लिए पत्र लिखा, लेकिन फिर भी जिला प्रशासन ने जांच कराना मुनासिब नहीं समझा और फिर मामला दब गया।

सीएमएचओ कार्यालय भवन की मरम्मत के लिए ऐसे बने एस्टीमेट
  •  वर्ष 2020 में छत से प्लास्टर गिरने पर मरम्मत के लिए एनएचएम निर्माण विंग ने 49.23 लाख का एस्टीमेट बनाया।
  • पीडब्ल्यूडी ने जुलाई 2021 में मरम्मत व रंग रोगन के लिए 44.12 लाख का एस्टीमेट बनाया।
  • पीडब्ल्यूडी ने अगस्त 2022 को निरीक्षण कर मरम्मत के िलए 60 लाख का एस्टीमेट बनाया।
  • राजकीय मुद्रणालय के खाली भवन में शिफ्ट करने के लिए उसकी मरम्मत का 23.75 लाख का एस्टीमेट बनाया।
पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने ठिकाने लगा दिया बजट

सीएमएचओ कार्यालय के ​निर्माण के लिए 80 लाख रुपए मंजूर हुए थे। तभी टेंडर कर इसका निर्माण कार्य शुरू कर ​दिया गया।  वर्ष 2009 में भवन बनकर तैयार हो गया। इसे पीडब्ल्यू के अफसरों की निगरानी में बनाया गया था। वर्ष 2009 में अफसरों ने सीएमएचओ को हैंडओवर करने के लिए पत्र लिखा तो उन्होंने घटिया सामग्री से बने भवन पर सवाल खड़े करते हुए टेकओवर से साफ इनकार कर दिया। क्योंकि उसी दौरान इस भवन में दरार आ गई थी और फर्श धंस गए थे। लेकिन सरकार और तत्कालीन कलेक्टर का का प्रेशर इतना रहा कि न चाहते हुए तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. सृबोध अग्रवाल को भवन टेकओवर करना पड़ा

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