भरतपुर. पशुपालन विभाग की श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला ( नुमाइश Exhibition) की जमीन पर कुछ लोगों ने षडयंत्र पूर्वक शासन-प्रशासन के कुछ अधिकारी-कमचारियों से मिलीभगत कर कब्जा कर लिया और उसको राजस्व रिकॉर्ड में अपने नाम करवा लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि उसमें जिम्मेदार आलाधिकारियों ने पशुपालन विभाग का पक्ष जानने तक का प्रयास नहीं किया।
पशुपालन विभाग को जब अपनी जमीन पर कब्जे जानकारी हुई तो विभाग ने हाईकोर्ट में अतिक्रमियों के खिलाफ अपनी जमीन को लेकर पुख्ता सबूत पेश किए, जिस पर हाई कोर्ट के जज अवनीश झिंगन ने आरएए एवं रेवेन्यू वार्ड की ओर से पूर्व में दिए निर्णय को रद्द करते हुए आएए को पुन: नए सिरे से सुनवाई करने के लिए कहा है।
वहीं इधर, हाईकोर्ट के निर्णय के बाद पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. खुशीराम मीना ने तहसीलदार को पत्र लिखकर होई कोर्ट के निर्णय की पालना में अतिक्रमियों द्वारा अवैध तरीके से कब्जाई गई जमीन को फिर से नुमाइस के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए आग्रह किया है।
वर्ष 2001 से चल रहा है जमीन को हथियाने का षडयंत्र
ज्ञात रहे कि नुमाइश की बेशकीमती जमीन को हथियाने का षडयंत्र कुछ लोगों द्वारा करीब 24 साल पूर्व वर्ष 2001 में रचा गया। अनाह गेट बजरिया निवासी दिनेश चंद वगैराह ने नुमाइस मैदान की जमीन पर झोंपड़ी आदि डालकर कब्जा कर लिया। जिसे नुमाइस के तत्कालीन मेला अधिकारी डॉॅ. ओपी शर्मा ने ध्वस्त करवा दिया।
जिस पर अतिक्रमण हटाने के खिलाफ उन लोगों ने सिविल कोर्ट में परिवाद दिया, लेकिन वे अपनी जमीन होने के संबंध में कोई पुख्ता दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए जिस पर वर्ष 2003 में वहां से हार गए। उसके बाद उन्होंने एडीजे कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी जमीन अपनी होने के प्रमाण नहीं दे पाने के कारण वर्ष 2014 में पशुपालन विभाग से हार गए।
फिर चली मिलीभगत की चाल
सिविल कोर्ट एवं एडीजे कोर्ट से असफलता मिलने के बाद दिनेश चंद ने षडयंत्र पूर्वक मिलीभगत से वर्ष 2015 में एसडीएम कोर्ट के समक्ष जमीन संबंधी परिवाद पेश किया। लेकिन उसमें पशुपालन विभाग को पार्टी नहीं बनाया तथा सत्यता छुपाते हुए तत्कालीन एसडीएम संदेश नायक को भरोसे में लेकर मिथ्या तथ्य प्रस्तुत कर पुराने खसरा नंबर 956 के वर्तमान खसरा नंबर 3228, 3229 व 3230 में से खसरा नंबर 3228 व 3229 को अपने नाम करवा लिया।
लेकिन उस जगह पर पहले से ही गोलमोल की बगीची व मूल मंदिर निर्मित हैं। इसलिए बाद में उन्होंने चुपके- छुपके से वर्ष 2018 में नुमाइस मैदान की 0.85 हैक्टेयर जमीन चक नंबर दो पुराने खसरा नंबर 957 व 958 के वर्तमान खसरा नंबर 3231 से 3240 तक पर कब्जा कर लिया।
झूठे तथ्य के आधार पर आरएए देवानंद माथुर से उनकी सेवानिवत्ति के दिन अपने पक्ष में निर्णय करवा लिया और फिर रेवेन्यू बोर्ड में अपील कर वहां से भी अपने हक में निर्णय प्राप्त कर लिया। तथा जमीन पर पक्की बाउंड्रीवाल बना ली और एक ओर मंदिर निर्माण करा दिया।
अतिक्रमण के बाद जागा पशुपालन विभाग
बात दें, जब पशुपालन विभाग को नुमाइश की जमीन पर कब्जे की जानकारी हुई तो अपनी जमीन के लिए विभाग ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई। साथ ही विभाग ने अपनी जमीन के संंबंध में पुराने दस्तावेज नक्शा, जमीन के कागजात आदि पुख्ता सबूत हाईकोर्ट के समक्ष पेश किए।
इस पर पहले तो वर्ष 2019 में हाई कोर्ट ने उक्त जमीन के बेचान पर रोक लगा दी और उसके बाद अब 18 सितंबर 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए 26 जून 2015 को आरएए की ओर से दिए गए निर्णय एवं 22 मार्च 2018 को रेवेन्यू बोर्ड की ओर से दिए गए निर्णय को रद्द करते हुए, आरएए को नए सिरे से उक्त प्रकरण की सुनवाई करने के लिए कहा है।
हाई कोर्ट ने इसलिए रद्द किए निर्णय
दरअसल, अतिक्रमियों द्वारा एसडीएम कोर्ट, आरएए व रेवेन्यू बोर्ड से मिलीभगत कर पशु पालन विभाग को पार्टी बनाए बगैर ही 0.85 हैक्टेयर जमीन को इंटरचेंज करवारक राजस्व रिकॉर्ड में अपने नाम चढ़वा लिया। वहीं एसडीएम कोर्ट, आरएए एवं रेवेन्यु बोर्ड ने जमीन के मूल मालिक पशुपालन विभाग के पक्ष को बगैर सुने ही दिनेश चंद के हक में फैसला दे दिया, यही वजह रही कि हाई कोर्ट ने आरएएस और रेवेन्यू बोर्ड के निर्णय को रद्द कर दिया।
जानिए, ऐसे रची गई जमीन पर कब्जा करने की कहानी
जानकारी के मुताबिक संवत 2014 में गोलमोल बाबा की बगीची पर बाबा मस्तराम रहा करते थे। उनके कोई संतान नहीं थी, वहीं उन्होंने न तो बगीची की जमीन की वसीयत किसी के नाम लिखी, न कोई दत्तक बनाया। उनकी आत्मशांति के बाद इस बगीची पर बाबा गुरुमुखदास रहने लगे। इनके भी कोई संतान नहीं थी, और न ही उन्होंने कोई दत्तक बनाया और न ही किसी के नाम कोई बसीयत लिखी।
लेकिन लंबे अंतराल के बाद दिनेश चंद ने यह दावा किया कि बाबा गुरुमुखदास ने उसके पिता मोतीलाल को गोद ले लिया था। उसी को आधार बनाते हुए उन्होंने उस जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया। लेकिन पशुपालन विभाग ने जब कब्जा हटाया तो वे सिविल कोर्ट व एडीजे कोर्ट पहुंचे, दोनों ही जगह दावा के कोई सत्य सबूत पेश नहीं कर पाए, जिससे वहां से हार गए।
कलक्टर रवि जैन के स्टे को कर दिया खारिज
चौंकाने वाली बात यह है कि उक्त जमीन को कब्जाने को लेकर जब तत्कालीन कलक्टर रवि जैन से पशुपालन विभाग मिला तो उन्होंने आरएए के निर्णय पर पर स्टे लगा दिया। लेकिन बाद में जब संदेश नायक कलक्टर बनकर भरतपुर आए तो उन्होंने कलक्टर रवि जैन के स्टे को खारिज कर दिया।
करीब 13 करोड़ रुपए कीमत की है जमीन
बता दें कि उक्त जमीन 0.85 हैक्टेयर यानी 8500 वर्ग मीटर है। वर्तमान में यहां इस जमीन की डीएलसी रेट 15000 रुपए वर्ग मीटर है। डीएलसी कीमत से आंकलन किया जाए तो वर्तमान में उक्त जमीन की कीमत करीब 12.75 करोड़ रुपए है।
हाई कोर्ट ने आरएए और रेवेन्यू बोर्ड निर्णय रद्द किए है: कलक्टर
नुमाइस की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में पशुपालन विभाग की याचिका पर हाई कोर्ट ने आरएए और रेवेन्यूबोर्ड के निर्णय रद्द किए हैं, साथ ही आरएए को फिर नए सिरे से पशुपालन विभाग को उक्त मामले में पार्टी बनाते हुए उसके पक्ष जानते हुए सुनवाई करने को कहा है।
– डॉ. अमित यादव, जिला कलक्टर भरतपुर
हाई कोर्ट के निर्णय की पालना कराने को तहसीलदार को लिखा है पत्र: संयुक्त निदेशक
नुमाइस की जमीन पर मिलीभगत कर अतिक्रमण के मामले में हाई कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसकी पालना कराने के लिए तहसीलदार को पत्र लिखा है। जिसमें 0.85 हैक्टेयर भमि को श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का निवेदन किया है।
डॉ. खुशीराम मीना, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग भरतपुर