अलवर. राजस्थान के खैरथल-तिजारा जिले में जांच में 42.41% गर्भवती महिला और 15.71% छह माह से 5 वर्ष तक के बच्चे एनीमिया (Hemoglobin) के शिकार मिले हैं। पाैष्टिक खान-पान की कमी के कारण ये ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। चिकित्सा विभाग के ये आंकड़े बेहद चाैंकाने वाले हैं।
मेवात क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं और बच्चाें में खून की कमी का पता मिशन आकाश अभियान में चला, जाे जिला कलेक्टर के नवाचार के तहत चलाया गया। इसमें गर्भवती महिला और बच्चाें की स्क्रीनिंग की गई। अभियान में 10 हजार 78 में से 8999 की जांच कराई गई इनमें से 3817 गर्भवती महिलाओं में खून की कमी मिली है।
इनमें 44 महिलाओं में हीमाेग्लाेबिन का स्तर 7 ग्राम से कम और 965 महिलाओं में 7 से 9 ग्राम और 2814 महिलाओं में हीमाेग्लाेबिन का स्तर 9 से 11 ग्राम प्रतिशत मिला है। अभियान के तहत तृतीय फाॅलाेअप तक 3328 गर्भवती महिलाओं का इलाज किया गया, जबकि शेष महिलाओं में खून का स्तर सामान्य हाे गया, जिन्हें आयरन फाेलिक एसिड की टेबलेट दी गई और पाैष्टिक आहार की सलाह दी गई।
चिकित्सा विभाग की और से अभियान में 6 माह से 5 वर्ष तक के 84 हजार 929 में से 75 हजार 591 बच्चाें की ब्लड की जांच की गई। इनमें 97 बच्चाें में 7 ग्राम से कम, 2082 में 7 से 9 ग्राम और 9701 बच्चाें में 9 से 11 ग्राम प्रतिशत हीमाेग्लाेबिन मिला है। इनमें से तीसरे फाॅलाेअप तक 11 हजार 379 बच्चाें का इलाज किया गया।
249 बच्चे अति कुपाेषित मिले, जिनमें ज्यादातर ठीक हुए
अभियान के तहत जांच में 249 बच्चे अति कुपाेषित पाए गए। इन बच्चाें काे एनआरआई में भर्ती कराकर इलाज कराया गया। इनमें से ज्यादातर बच्चे ठीक हाे गए हैं। 2380 कुपाेषित बच्चाें काे नियमित पाेषण एवं अाहार उपलब्ध करा माॅनिटरिंग की गई।
एनीमिया के लक्षण
- कमजाेरी व थकान हाेना।
- त्वचा का रंग सफेद या पीला हाेना।
- अनियमित दिल की धड़कन और सांस लेने में दिक्कत।
- जीभ में छाले हाेना।
- चक्कर आना या बेहाेशी जैसा महसूस हाेना।
कुपाेषण से हाेने वाले नुकसान
- शारीरिक वृद्धि नहीं हाेना।
- मानसिक विकास नहीं हाेना।
- रक्तचाप कम हाे जाना।
- शरीर का तापमान कम हाे जाना।
- बीमारी एवं संक्रमण हाेने की प्रबल संभावना।
पौष्टिक खानपान से एनीमिया की नहीं होगी कमी
अगर पौष्टिक खानपान से महिलाओ में खून की कमी नहीं होगी। लेकिन मेवात मे खानपान पर महिलाएं ध्यान नहीं देती हैं। जब महिलाएं ही कमजोर होगी और उनमें हीमोग्लोबिन की कमी होगी तो कमजोर संतान पैदा होगी। एनीमिया के लक्षण तब दिखाई देते हैं जब शरीर की कोषिकाओं में ऑक्सीजन की कम हो जाती है और थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। अभियान में हीमोग्लोबिन की कमी वाली महिलाओं और बच्चों का इलाज किया गया और उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ज्यादातर रोगी सही हो गए हैं।
डॉ. अरविंद गेट, सीएमएचओ, खैरथल-तिजारा
एक अच्छे पत्रकार की सच्ची पत्रकारिता को सैल्यूट
जय हिंद जैन साहब