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Hospital : क्या आप अलवर के अलेक्जेंडर हॉस्पिटल को जानते हैं, जो 1909 में बना और आज भी मजबूती से खड़ा है

लाल पत्थर से इस हाॅस्पिटल निर्माण अलवर के महाराजा जयसिंह के शासनकाल में वर्ष 1904 से 1909 के मध्य हुआ अक्टूबर 1909 में वायसराय लाॅर्ड मिंटाे ने उद्घाटन किया

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Alexandra Hospital

अलवर. क्या आप  जानते हैं, आप जिस राजकीय राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए जाते हैं वह अलेक्जेंडर हाॅस्पिटल है। जाे अंग्रेजाें के शासन काल में 1909 बना था। आज भी हाॅस्पिटल पर अलेक्जेंडर हाॅस्पिटल (Hospital) की शिला पट्टिका लगी हुई है जो इसकी ऐतिहासिकता को बयान कर रही है।

इस हाॅस्पिटल से पता चलता है कि रियासतकाल में भी अलवर में मरीजाें के इलाज की बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध थी। ये अलेक्जेंडर हाॅस्पिटल करीब 115 साल बाद भी आज मजबूती के साथ खड़ा है। लाल पत्थर से इस हाॅस्पिटल (Hospital) का निर्माण अलवर के महाराजा जयसिंह के शासनकाल में वर्ष 1904 से 1909 के मध्य हुआ था और उद्घाटन अक्टूबर 1909 में वायसराय लाॅर्ड मिंटाे ने किया।स्वतंत्रता के बाद इसे जिला अस्पताल का दर्जा मिला और वर्ष 1991 में पीएमओ का पद सृजित कर अधिकार बांट दिए गए। वर्तमान में अब इस पुराने हाॅस्पिटल में सभी वार्ड और आईसीयू संचालित हैं। अब इसे मेडिकल काॅलेज के अधीन कर दिया गया है।

अस्पताल के अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी अरविंद यादव बताते हैं कि शुरूआत में इस अस्पताल के सीनियर स्पेशलिस्ट डाॅक्टर काे ही सीएमएचओ बनाकर जिले की चिकित्सा विभाग की गतिविधियाें की कमान साैंपी गई। उस दाैरान जिला अस्पताल के साथ जिले मे 14 ब्लाॅक स्तर पर ब्लाॅक पीएचसी, करीब 18 पीएचसी, 11 एडपाेस्ट और 50 से अधिक सब सेंटर हुआ करते थे। राजगढ़, बहराेड़, थानागाजी, बर्डाेद आदि रैफरल हाॅस्पिटल भी थे। जिले में आहरण वितरण की पूरी शक्तियां सीएमएचओ के पास थी।

सीएमएचओ का चैंबर भी वहीं हाेता था जाे आज पीएमओ का है। वर्ष 1991 में इसे विभाजित कर दिया गया। डाॅ. आहलूवालिया काे पीएमओ बनाकर जिला अस्पताल की कमान साैंप दी गई। जबकि ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी व पीएचसी की जिम्मेदारी सीएमएचओ डाॅ. सिकंदर साहनी काे साैंप दी। सीएमएचओ कार्यालय भी तिलक मार्केट के पास ईएसआईसी डिस्पेंसरी के बगल में एक कमरे में संचालित रहा।

बाद में वर्ष 2009 में इस कार्यालय को नंगली सर्किल के पास स्थानांतरित किया गया। इस दाैरान डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य, डिप्टी सीएमएचओ मलेरिया और डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण के पद भी थे। इनमें सबसे बड़ा कार्यक्षेत्र डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण का हाेता था। बाद में डिप्टी सीएमएचओ मलेरिया का पद समाप्त कर टीकाकरण अधिकारी का पद सृजित किया गया। ये सभी कार्यालय तिलक मार्केट के पास पुराना जनाना अस्पताल परिसर में संचालित रहे। जाे अब वहां से सीएमएचओ कार्यालय परिसर में शिफ्ट कर दिए गए हैं। क्योंकि पुराना जनाना हॉस्पिटल की जमीन को यूआईटी ने बेचकर उससे अर्जित पैसे को मिनी सचिवालय के निर्माण में लगा ​दिया। इसकी एवज में यूआईटी ने सीएमएचओ कार्यालय प​​रिसर मे भवन निर्माण कराया है, जिसमें सभी कार्यालय संचालित हैं।

एक नजर हम जनाना अस्पताल पर भी 
अलवर शहर का जनाना अस्पताल पहले तिलक मार्केट स्थित चिकित्सा विभाग के भवन में संचालित रहा। जगह की कमी के कारण इसे वर्ष 1962-63 में वर्तमान में संचालित बिजली घर चाैराहा स्थित भवन में शिफ्ट कर दिया गया। वर्तमान में यहां 225 बेड स्वीकृत हैं और करीब 300 बेड लगे हुए हैं। इससे सटा शिशु अस्पातल भी अभी एक वार्ड के रूप में संचालित है। जिसके भवन का निर्माण एक भामाशाह ने कराया, जिसे बिना मंजूरी के ही अस्पताल का दर्जा दे दिया गया, जाे आज तक संचालित है।

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