दिल्ली. भारत ने चावल निर्यात पर लगाए प्रतिबंध शनिवार को हटा दिए हैं। केन्द्र सरकार ने चावल (Rice ) पर प्रतिबंध पिछले साल 2023 में लगाए गए थे। 2022 में भारत ने दुनिया का 40 प्रतिशत से ज्यादा चावल निर्यात किया था। यह कुल 5.54 करोड़ टन में से 2.22 करोड़ टन था। भारत 140 से ज्यादा देशों को चावल निर्यात करता है।अच्छे मानसून और सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार होने के बाद भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है।
सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया। साथ ही इस पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया। इसे निर्यात शुल्क से भी छूट दे दी है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से रोक लगा दी गई थी।
चावल में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है भारत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश हे। चार सबसे बड़े निर्यातकों के संयुक्त निर्यात से भी ज्यादा था। इनमें थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका शमिल हैं। भारत से गैर-बासमती चावल खरीदने वाले मुख्य देशों में बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल शामिल हैं। ईरान, इराक और सऊदी अरब बासमती चावल खरीदते हैं।
2023 में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत का चावल निर्यात 20 प्रतिशत से घटकर 1.78 करोड़ टन रह गया था। 2024 के पहले सात महीनों में भी निर्यात पिछले साल की तुलना में एक-चौथाई कम रहा।
इन देशों पर बढ़ गई थी निर्भरता
भारत के निर्यात कम करने से एशियाई और अफ्रीकी खरीदारों को थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार से चावल खरीदना पड़ रहा था। मांग बढ़ने और सीमित आपूर्ति के कारण इन देशों में निर्यात कीमतें पिछले 15 सालों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।
सरकार ने ब्राउन राइस पर निर्यात शुल्क भी घटाया
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने कहा कि उसने ‘ब्राउन राइस’ और धान पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। चावल की इन किस्मों के साथ गैर-बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क अब तक 20 फीसदी था। अधिसूचना में कहा गया है कि नई दरें 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं।