Alwar. राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का (Sariska) में एसटी-14 के शावकों का नामकरण हो गया है। सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीसीएफ संग्राम सिंह ने धनतेरस यानी मंगलवार को शावकों के नामकरण के आदेश जारी किए हैं। अब सरिस्का में 27 वयस्क टाइगर और 16 शावक विचरण कर रहे हैं। सरिस्का में लगातार बढ़ रहे बाघों के कारण जंगल आबाद होता जा रहा है। इससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी है।
सरिस्का के जंगल में एसटी-14 के दो शावकों का पहली बार 28 फरवरी 2023 को कैमरा ट्रेप से पता चला। एनटीसीए के नियमों के तहत फीमेल शावक का एसटी-2401 और मेल शावक को 2402 के नाम से सरिस्का के जंगल में पहचान मिली है।
बाघों का करीब दो से ढाई साल की उम्र होने के बाद ही नामकरण किया जाता है। जब ये शावक वयस्क होने की राह पर होते हैं और अपनी मां से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। सरिस्का के जंगल में अभी 16 शावक विचरण कर रहे हैं, जिनकी कैमरा ट्रेप से पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। आगामी दिनों में इनका भी नामकरण किया जाएगा।
सरिस्का में ST-14 के अब तक 7 शावक
सरिस्का के जंगल में एसटी-14 का कुनबा बढ़ रहा है। ये बाघिन अब तक 7 शावकों को जन्म दे चुकी है। इनमें 5 मादा और 2 नर हैं। बाघिन का जन्म भी सरिस्का में हुआ था। ये एसटी-2 की बेटी है। इसके अलावा एसटी-2 की एसटी-7, एसटी-8 और एसटी-13 भी हैं। जबकि एसटी-14 की सरिस्का के जंगल में बाघिन एसटी-17, बाघ एसटी-18, बाघिन एसटी-26, 27 और 28 तथा बाघिन 2401 व बाघ 2402 हैं। इनमें से नए बाघ- बाघिन को छोड़कर सभी अपनी अलग-अलग टेरिटरी में विचरण कर रहे हैं।