दिल्ली: टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार रात 11 बजे मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया। 86 साल के टाटा की तबीयत गंभीर बताई जा रही है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक टाटा ने दो दिन पहले ही अपनी सेहत को लेकर चल रही अफवाहों को खारिज किया था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि टाटा को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। रतन नवल टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को किया गया। पारसियों के पारंपरिक दखमा की बजाय उनका दाह संस्कार हुआ। सबसे पहले पार्थिव शरीर को प्रेयर हॉल में रखा गया। वहां पारसी रीति से ‘गेह-सारनू’ पढ़ा गया। रतन टाटा के पार्थिव शरीर के मुंह पर एक कपड़े का टुकड़ा रख कर ‘अहनावेति’ का पहला पूरा अध्याय पढ़ा गया। ये शांति प्रार्थना की एक प्रक्रिया है। इसके बाद इलेक्ट्रिक अग्निदाह से अंतिम संस्कार किया गया।
टाटा ने अपनी बिगड़ती सेहत की खबरों के बाद एक बयान जारी कर कहा था कि वह उम्र संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने कहा था कि उनकी सेहत को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।
दो दिन पहले जारी एक आधिकारिक बयान में टाटा ने कहा था, ‘मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।’
1937 में हुआ रतन टाटा का जन्म
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल और सूनू टाटा के घर हुआ था। रतन और उनके छोटे भाई जिमी का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई आर टाटा ने मुंबई में टाटा पैलेस नाम के आलीशान घर में किया। रतन टाटा को स्कूल रोल्स रॉयस कार में ले जाया जाता था। लेकिन, लेडी नवाजबाई ने अपने पोते-पोतियों में अच्छे संस्कार डाले थे।
मुंबई के स्कूलों में की पढ़ाई
रतन टाटा ने अपनी पढ़ाई मुंबई के कैंपियन और कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूलों से की। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद रतन टाटा अमेरिका चले गए। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1969 में वह ऑस्ट्रेलिया में टाटा समूह के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया से एक साल बाद लौट आए टाटा
इसके एक साल बाद रतन टाटा भारत लौट आए और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज से जुड़ गए। 1971 में उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (नेल्को) का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया। 1974 में वह टाटा संस के बोर्ड में बतौर निदेशक शामिल हुए। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
1981 में टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन नियुक्त किया
1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उन्होंने टाटा इंडस्ट्रीज को हाई-टेक्नोलॉजी व्यवसायों के प्रमोटर के रूप में बदलने की शुरुआत की। 1983 में उन्होंने टाटा की रणनीतिक योजना का मसौदा तैयार किया। 1986 से 1989 तक टाटा ने एयर इंडिया के चेयरमैन के रूप में काम किया। 25 मार्च 1991 को उन्होंने जेआरडी टाटा से टाटा संस के चेयरमैन और टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन का पदभार संभाला।
1991 में टाटा समूह का पुनर्गठन शुरू किया
1991 में उन्होंने टाटा समूह का पुनर्गठन शुरू किया। 2000 के दशक में उनके नेतृत्व में टाटा समूह तेजी से आगे बढ़ा। टाटा ने टेटली, कोरस, जगुआर लैंड रोवर, ब्रूनर मोंड, जनरल केमिकल इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और देवू जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
2008 में उन्होंने टाटा नैनो को लॉन्च किया। उसी साल भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। दिसंबर 2012 में उन्होंने 50 साल बाद टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया।