डेंगू (Dengue)एक विषाणु से होने वाली बीमारी है जो एडीज एजिप्टी नामक संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर बारिश के दौरान बहुतायत पाए जाते हैं। यह मच्छर घरों, स्कूलों और अन्य भवनों में तथा इनके आस-पास एकत्रित खुले एवं साफ पानी में अंडे देते है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर अक्सर दिन में ही काटते हैं और इनके शरीर पर सफेद और काली पटटी होती है। इसलिए इनको ’टाइगर (चीता) मच्छर’ भी कहते हैं। यह मच्छर निडर होता है और ज्यादातर दिन के समय ही काटता है।
डेंगू बुखार के लक्षण क्या है?
- अचानक तेज बुखार
- सिर में आगे की ओर तेज दर्द
- मांसपेषियों व जोड़ों में दर्द
- स्वाद का पता न चलना व भूख न लगना
- छाती व ऊपरी अंगों पर खसरे जैसे दाने
- चक्कर आना
- जी घबराना व उल्टी आना
अगर बुखार आए तो ये गलती कभी नहीं करें ?
एस्प्रिन एवं आइबूप्रोफेन जैसी औषधियां बिना डॉक्टर की सलाह के न लें, क्योंकि इन दवाइयों के सेवन से डेंगू के रोगी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
हर बुखार को वायरल नहीं समझें, लेकिन ये जरूर करें
-
बुखार उतारने के लिए पैरासिटामोल का उपयोग करना लाभप्रद होता है।
-
शरीर में पानी, लवण की कमी के लिए जीवन रक्षक घोल का उपयोग करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
-
जीवनरक्षक घोल के पैकेट सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य केन्द्रों , डिपो होल्डरों, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के यहां निशुल्क मिलते हैं।
-
रोगी को प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों जैसे दूध, शिकंजी, छाछ, हल्की चाय, दाल का पानी आदि का सेवन कराएं।
तीन प्रकार का होता है डेंगू, इसलिए हल्के में नहीं लें
- साधारण डेंगू
- रक्त स़़़्त्राव वाला डेंगू
- डेंगू शॉक सिन्ड्रोम
खतरनाक डेंगू और उसके लक्षण ?
- रक्तस्राव वाला डेंगू तथा डेंगू शॉक सिन्ड्रोम गंभीर किस्म के डेंगू रोग हैं इनमें साधारण डेंगू रोग के लक्षणों के साथ ही ऐसे लक्षण पाए जाते हैं।
- शरीर की चमड़ी पीली तथा ठंडी पड़ जाना।
- नाक, मुँह और मसूडों से खून बहना।
- चमड़ी में घाव पड़ जाना।
- पेट में तेज व लगातार दर्द।
- नींद न आना।
- बेचैनी रहना व लगातार कराहना।
- प्यास ज्यादा लगना (गला सूख जाना)
- नब्ज का कमजोर होना व तेजी से चलना।
- खून वाली या बिना खून की उल्टी आना।
- संस लेने में तकलीफ होना।
आम जनता डेंगू से कैसे बचाव करे
- बच्चों को मच्छर के काटने से बचायें, उन्हें दिन के समय पूरी बाहों वाले कपड़े पहना कर रखें। मच्छरदानी का उपयोग करे।
- कूलर का पानी सप्ताह में एक बार अवष्य बदलें।
- टंकियों तथा बर्तनों को ढक कर रखें।
- घर के आसपास पुराने टायरों, नारियल के खोकों तथा डिब्बों मे भरा हुआ पानी खाली करें।
- सरकारी स्तर पर कीटनाषकों का छिड़काव हो रहा है। उसमें सहयोग करें।
- जरूरी होने पर आप भी जले हुए तेल (मोबिल ऑयल) या मिटटी के तेल को नलियों में तथा इकट्ठे हुए पानी पर डालें
- मच्छर भगाने वाली दवा का प्रयोग करें।
- बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार खून की जांच करवाएं एवं डाक्टर की सलाह के अनुसार उपचार लें।
- डॉ. जालम सिंह, महामारी रोग विशेषज्ञ, जयपुर