अलवर. बब्बर शेर के नाम से मशहूर भाजपा नेता व पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि सुखवंत सिंह ने राजनीतिक क्षमता और दबंगता नहीं है। (Political ) उसने पिछले चुनाव में भीम पार्टी से चुनाव लड़कर जहर घाेला। खास खबर भारत के साथ सोमवार को उनके निवास पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सुखवंत सिंह काे टिकट मिलती ताे क्या भाजपा जीतती सवाल पर आहूजा ने स्पष्ट शब्दाें में कहा कि फिर भी भाजपा नहीं जीतती। चुनाव में जाे दबंगपन चाहिए वह उनमें नहीं है। जाे मेरा प्रभाव जिला, प्रदेश और देश में है। सारे आईएएस, आईपीएस, आरएएस मेरा कहना दाेनाें कानाें से मानते हैं। ये मेरी दबंगता और ईमानदारी है। न मेरे ऊपर पैसे के आराेप हैं और न ही महिला के। इसलिए प्रबल रूप से मेरा नाम आता रहा और मुझे पार्टी का टिकट मिलता रहा। अब 2018 में टिकट क्याें कटा कैसे कटा। इस अंधेरे में मैं जाना नहीं चाहता।
रामगढ़ विधानसभा सीट को लेकर भाजपा नेता और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा से सीधे सवाल
सवाल : क्या कारण रहे कि जुबेर खान जीते और जय आहूजा काे करारी हार का सामना करना पड़ा। सुखवंत सिंह दूसरे नंबर पर रहे?
आहूजा : सुखवंत ने जहर फैलाया। जिस पार्टी का टिकट लाए वह दलित समाज की पार्टी है और वहां दलित समाज के 40 हजार वाेट हैं। उन्हें एससी का वाेट मिला। इस कारण वे सेकंड नंबर पर आए। जुबेर खान और मैं तीन-तीन बार एमएलए बने। मेरी जाति के वाेट नहीं हाेने के कारण मैं जीतता रहा। ये हिंदुओं के प्रेम के कारण हुआ। मेरी दबंगता और ईमानदारी के कारण लाेग अब भी चाहते हैं। उसमें राजनीतिक क्षमता नहीं है। फिर भी उन्हाेेंने एक बार अच्छी कही कि अगर ज्ञानदेव जी काे टिकट मिलता ताे मैं चुनाव नहीं लड़ता। टिकट जय आहूजा काे मिला इसलिए चुनाव लड़ा। आगे वे क्या करेंगे ये समय बताएगा। वे मेरे छाेटे भाई हैं और उनकाे मैंने ही प्रधान बनवाया था।
सवाल : उप चुनाव में आप भाजपा से टिकट की दावेदारी करेंगे या सन्यास की घाेषणा कर देंगे?
आहूजा : रामगढ़ सहित प्रदेश में 7 सीटाें पर उप चुनाव हाेने हैं। इसके लिए पार्टी व्यापक सर्वे कराएगी। प्रदेशाध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और केन्द्र की कमेटी की ओर से सर्वे के बाद टिकट का निर्णय हाेगा। राजनीति में कभी सन्यास नहीं हाेता। पिछली बार भतीजे ने चुनाव लड़ा। सुखवंत सिंह भीम पार्टी से लड़े। इससे पहले मेरा टिकट काटकर सुखवंत काे दे दिया गया। लेकिन इसकी विवेचना नहीं करूंगा। अब सर्वे के बाद ही निर्णय हाेगा। जय आहूजा लगातार जनसंपर्क करते रहे हैं। वे गांव-ढाणी तक गए हैं। ताे मैं चाहूंगा कि जय आहूजा काे टिकट मिले। वे दावेदार भी हैं।
सवाल : आप भाजपा में टिकट के लिए दावेदारी क्याें नहीं कर रहे?
आहूजा : मैंने कभी दावेदारी पेश नहीं की। मुझे संगठन और संघ के प्रभाव में टिकट मिलता रहा। वर्ष 2018 में टिकट कटा ताे फिर भी दावेदारी नहीं की। मुझे पहला टिकट लालकृष्ण आड़वाणी, गाेविंदाचार्य और आरएसएस के साेमसिंह ने दिलवाया। अब दावेदारी जय आहूजा की हाेगी मेरी नहीं। लेकिन लाेकतंत्र में किसी काे राेक नहीं सकते। काेई भी चुनाव लड़ सकता है।
सवाल : क्या आप मानते हैं कि आपकाे टिकट नहीं मिला इसलिए पिछले चुनाव में भाजपा हारी?
आहूजा : विधानसभा क्षेत्र में एक बार प्रबल रूप से चल रही है कि सीट ज्ञानदेव आहूजा ही निकाल सकता है। लेकिन में दाे चुनाव लड़ा ही नहीं। मैं ताे चाहूंगा कि उप चुनाव में टिकट जय आहूजा काे मिले। वह डिजर्ब भी करते हैं। इंद्रजीत सिंह, बनवारी लाल सिंघल, सुखवंत सिंह सहित कई नेता तैयारी कर रहे हैं। लेकिन पार्टी सर्वे में किसका नाम आएगा ये समय बताएगा।
सवाल : सुखवंत सिंह टिकट मांगेंगे ताे क्या आप उनका विराेध करेंगे। क्याेंकि वे पिछले चुनाव में बागी हुए?
आहूजा : मैं दावेदार नहीं। काैन दावेदार है इसका मैं विराेध नहीं करूंगा। पार्टी सर्वे के आधार पर जिसे टिकट मिलेगा वह सिराेधार्य है। हम कमल के फूल के साथ हैं। मेरे हर चुनाव में डाॅ. राेहिताश्व शर्मा, डाॅ. जसवंत यादव, धर्मपाल चाैधरी ने विराेध किया। लेकिन मैंने कभी उनके क्षेत्र में विराेध नहीं किया। कमल के फूल काे जितवाने में सहयाेग किया।
सवाल : भाजपा आपसे पूछे कि आप जय आहूजा, सुखवंत सिंह औ बनवारी लाल सिंघल में से किसे टिकट दिलवाना चाहेंगे?
आहूजा : चाैथा इंद्रजीत भी है। लेकिन मैं चुनाव में पूरी तरह निष्पक्ष रहूंगा। पिछली बार भी गलतफहमी रही कि जय आहूजा काे मैंने टिकट दिलवाया है। जय खुद सक्षम हैं। वे 15 साल से विहिप में काम करते हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानी शरणार्थियाें काे बसाते हैं। आर्थिक मदद करते हैं और उनकी बेटियाें की शादी करवाते हैं। विहिप और बजरंगदल का प्रयास रहा ताे टिकट जय काे मिला। वह पक्का हिंदूनिष्ठ है। विहिप व बजरंग दल का प्रभाव व दबाव उनके बारे में रहेगा। संघ परिवार जय आहूजा काे प्राथमिकता देगा ऐसी मेरी मान्यता है।
सवाल : आप प्रयास करेंगे कि फिर से भतीजे काे टिकट मिले?
आहूजा : फिर आप बार-बार पूछ रहे हैं। मैं इस संबंध में निष्पक्ष रहूंगा। किसी काे टिकट मिले कमल के फूल काे जितवाऊंगा।
सवाल : रामगढ़ से चुनाव लड़े 3 जीते और हारे भी। हिंदू वाेट कटे या जुबेर खान ने सेंध लगाई?
आहूजा : दाेनाें बार मैं चुनाव अपनी गलती से हारा ये मैं स्वीकार करता हूं। पाेलिंग के दिन पाेलिंग बूथ पर कुछ लाेगाें ने कब्जा किया, जाे जुबेर खान के पक्ष के थे। ज्यादातर उनके अफसर लगे थे। मैं गुस्सेबाज था। मेरी एसडीएम के साथ मारपीट और गाली गलाैच हुई। हालांकि काेर्ट ने मुझे बरी कर दिया। 2003 में हारा ताे कई गांव में लाेगाें ने बूथ कैप्चर करने काे कहा। लेकिन मैंने मना कर दिया कि मैं जीत रहा हूं। मैंने निष्पक्ष एजेंसी से सर्वे कराया ताे मैं अाश्वस्त था। लेकिन उस दाैरान जगत सिंह लक्ष्मणगढ़ से चुनाव लड़े ताे उनका जुबेर खान के साथ समझाैता हाे गया। उन्हाेंने मेव वाेट दिलाए ताे जगत ने जाट वाेट। बांबाेली जाट बेल्ट के वाेट नहीं मिले और मैं 450-500 वाेट से हार गया। वह मेरी गलती थी।